भारत में बिल्ली का रास्ता काट जाना भले ही अपशगुन मानकर घटित दुर्घटना का दोष बिल्ली के मत्थे मढ़ दिया जाता है, मगर जर्मन वैज्ञानिकों ने उसी बिल्ली के माथे से डीजल की धार का स्रोत ढूंढ़ निकाला है। जर्मन वैज्ञानिक डॉ़ क्रिश्चियन कोच और उनके साथियों ने मृत प्राणियों से ऊर्जा विषय को अपना शोध का विषय बनाया और उसमें पहले मृत बिल्ली को चुना।
उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में बिल्ली के मृत शरीर को 300 डिग्री तक गर्म किया। गर्माहट पाकर बिल्ली के शरीर से हाइड्रोकार्बन अलग हो गया। डॉ. कोच ने प्रयोग को आगे बढ़ाया और एक उत्प्रेरक की मदद से हाइड्रोकार्बन को डीजल में बदलने में सफलता प्राप्त कर ली।
अपने परीक्षण में उन्होंने 20 मृत बिल्लियों के केवल सिर से ढाई लीटर डीजल प्राप्त किया। उन्होंने इसे अपनी कार में डालकर प्रयोग किया तो कार चल पड़ी। डॉ. कोच का कहना है कि असल में यह बायोडीजल ही है इसलिए इसका प्रयोग अन्य बायोडीजल की तरह सहज किया जा सकता है।